अठखेलियाँ
जीवन अपने आप से ही अठखेलियाँ खेलता है। पचास साल के वैवाहिक जीवन में पत्नी जी पहली बार बीमार ही नहीं हुई अस्पताल में भर्ती भी हो गई। मानो तूफान आ गया। मैं तीस पैंतीस साल से डायबिटीज, स्पांडलाइटिस व अवसाद से जूझ रहा हूँ पर कोई बीमार ही नहीं मानता। पत्नी जी बीमार हुईं तो मुझे भी लगा कि मैं वास्तव में दोगुना बीमार हो गया पर साथ ही उनकी सेवादारी में अपनी बीमारी भूल ही गया। एक अनजाने भय से ग्रस्त हो गया कि पत्नी जी चली गई तो मेरा क्या होगा। अचानक ही आसमान की ओर हाथ उठ जाते हैं कि हे पालनहारे ऐसा न करना। जोड़ी बिछड़े न। विदा हो तो एक साथ।
सत्येंद्र सिंह
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